धरोहर तथा स्वामित्व
धरोहर तथा स्वामित्व
संसार में प्रभु के वरदान अनेक हैं---उनमें से बहुत से वरदान तो धरोहर हैं-और एक वरदान स्वामित्व है। जो वरदान धरोहर रूप है--वह तो नाशवान् है एवं जो स्वामित्व है-वह स्थायी (जन्म-जन्मान्तर साथ रहनेवाला) हैधन, जन और यौवन के वरदान तो धरोहर हैं, पर सदाचार मनुष्य का स्वामित्व बन जाता है-उसे प्रभु नहीं छीनते ।