देव बनने का संकल्प
देव बनने का संकल्प
प्रकाश को बाहर खोजना बुद्धिमत्ता नहीं, वह तो आपके भीतर विद्यमान है। अपने अन्तर का कूड़ा-करकट साफ़ कीजिए। हृदय-मन्दिर को स्वच्छ कीजिए, फिर आप अपने को ज्योतिर्मय अनुभव कर सकेंगे।
आज अमावस की रात है। गहरा अन्धकार चहुंओर छाया है। किन्तु यह तम-रात्रि कल के प्रकाश का प्रतीक है। आने वाला कल चन्द्रमा के दर्शन कराएगा-यह विश्वास प्रेरणा बनकर हमें शक्ति प्रदान करता है। सारी चिन्ताएं छोड़ दो। आने वाला दिन आपके लिए स्वागत की मालाएं लिए खड़ा है। तुम किसकी प्रतीक्षा कर रहे हो मेरे बन्धु।
उठो और आगे बढ़ो। एक-एक पल मूल्यवान है.......अपने को उठाने और सजाने का अवसर मत चूको ! तुम देव हो देव, बनो। मनुष्य देव बने; यही धर्म मार्ग की सबसे बड़ी देन है।
पवित्र दिन-पूर्व के उल्लास में इसे बांटने का प्रयत्न करो। यह दिन धन संपत्ति ऐश्वर्य के पाने का है। इसलिए संकल्प लो इनके संग्रह का, ऐसा ध न कमाओ, जो तुम्हारे काम आ सके। जन्म-जन्मान्तर तक तुम्हारे पास आ सके।
शून्य-गगन की छाया में सपने देखना तो बहुत आसान है, पर उन सपनों में रंग भरना उतना ही कठिन है। तुम इस कठिन काम को करने का संकल्प लेकर यह प्रकाश-पर्व मनाओ।