दया

ईश्वर ने मानव को इस जहां मे जन्म के साथ साथ उनके मन मे दया धर्म, और अच्छे बुरे सभी गुणों से समाहित इस धरा पर भेजा है।मगर आज दया धर्म कम ही दिखाई देता है।मनुष्य मे सभी गुणों के साथ साथ दया तो होनी ही चाहिए फिर चाहे ओ अमीर हो या गरीब,मनुष्य अपने कर्म से बड़ा होता है,दया याने दिया जिस तरह से एक छोटा सा दीपक एक अंधेरे घर मे इतनी रौशनी फैला देता है कि घर मे चमक आ जाती है,ठीक उसी तरह यदि हम दिल से एक समर्पित भाव से किसी के प्रति दया करे तो कुछ हद तक हम किसी के जीवन मे खुशियां भर सकते है,कहते है यह ऐसा धन है जो जितना भी आप खर्च करेगें उतनी ही आपकी जिंदगी खुशियों से भरती जाऐगी दया करने के लिए आपको किसी खास वक्त का इंतजार करने की जरूरत नही आपका जब मन करें आप अपने इस भाव को लोगों के बीच पहुंचा सकते हो।
                            मनुष्य के मन मे हर प्रकार के भाव प्रतिदिन उत्पन्न होते है,मगर दया का भाव लिए जो व्यक्ति जीवन पथ पर आगे बड़ रहा है वह ईश्वर से कम नही
                दया कर दान 
               जीवन मे,हे बंदे
            यही तेरे काम आऐगा
         खाली हाथ तू आया जग मे
             खाली हाथ जाऐगा।
            छोड़ दुनिया की मै,मै
            हम बनकर देख जरा
         खा कसम खूद के खातिर
         जीवन मे दया धर्म करके
                   जाऐगा।


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