चुनौती आतंकवाद की पूरे हिन्दू समाज को

चुनौती आतंकवाद की पूरे हिन्दू समाज को .



      अन्तरराष्ट्रीय इस्लामी षड्यन्त्रों की चुनौती हमने स्वीकार की। हमने शंख बजाया और वे रो पड़े, चीख उठे। उन्होंने अब हमें समाप्त करने की घोषणा कर दी है।


       हमें समाप्त करने के लिए देशद्रोही तत्त्व तैयारी कर चुके हैं। हम मृत्यु वरण के लिए तैयार हैं-पर क्या भारत के 60 करोड़ देशभक्त, इस चुनौती को अपने ऊपर प्रहार अनुभव करेंगे ? 


       21 फरवरी से आज 4 मार्च 82 तक सशस्त्र पुलिस के जवान हमारी रक्षा कर रहे हैं, पर क्या इससे बड़ा कलंक भारत की प्रबुद्ध जनता के लिए और कुछ हो एकता है कि धर्मयुद्ध में बहन की रक्षा के स्थान पर भाई सोते रहें।


       बातें करना, भाषण देना, झूठी घोषणाएं करना बहुत सरल है। पर काम करना-तलवार की धार पर चलना है। हमारे काम का इससे बड़ा प्रमाण और क्या होगा कि विरोधी चिल्ला पड़े हैं।


       देश की जनता, शासन, नेता सभी समझ लें कि चुनौती स्वीकार करने का अर्थ मृत्यु या विजय वरण ही होता है। भारत में अपने भारत में देशद्रोही तत्त्वों को मिटाने का संकल्प यदि अपराध है, तो हमें यह अपराध करने से कोई रोक नहीं सकता।


       नगाडे तो बज उठे हैं, कायर सोते रहें और वीर हमारे साथ आएं। लेखराम-राजपाल-श्रद्धानन्द की परम्परा को एक बार और आगे बढ़ने दो। ओ३म् की लहराती ध्वजा को झुकाने वालों से टकराना हमने स्वीकार किया है-इस विश्वास के साथ कि भारत-वसुन्धरा अभी वीरविहीन नहीं हुई है।


       विजय के लिए आप को जगा रही हूँ, उठा रही है। आगे नहीं चल सकते तो पीछे तो आइए!


Popular posts from this blog

ब्रह्मचर्य और दिनचर्या

वैदिक धर्म की विशेषताएं 

अंधविश्वास : किसी भी जीव की हत्या करना पाप है, किन्तु मक्खी, मच्छर, कीड़े मकोड़े को मारने में कोई पाप नही होता ।