चिन्तन प्रवाह

चिन्तन प्रवाह


        जो व्यक्ति दुःख का सामना करने से डरता है,


 उसे सुख की आशा नहीं करनी चाहिए।


        इस जीवन में खूब कमाया तूने हीरे मोती।


याद रखना यारों, कफन में जेव नहीं होती।


        जो मनुष्य संसार का जितना-जितना


परोपकार करता है, वह उतना-उतना


ईश्वर की व्यवस्था से सुखी होता है।


        निश्चिन्त होने का उपाय - जो कार्य आवश्यक हो उसे कर


डालो, जो अनावश्यक हो उसे भूल जाओ। कार्य


        कुछ लोग आपको बुरा समझते हैं


इसी कारण आप भी यदि बुरे बन जायें


तो यह आपकी हार और उनकी जीत होगी।


        क्रोध एक अग्नि है जो दूसरों


  से पहले अपने को जला देती है।


मस्त रहो पर व्यस्त रहो, लेकिन अस्त-व्यस्त मत रहो


जो मनचाहा बोलता है, उसे अनचाहा सुनना पड़ता है।


        इस उमर दी डोर ने ट्ट जाना, गडी सदा नहीं असमान ते चढ़ी रहिणी लक्ख बूटियां दवा दारु कर लै, नब्ज़ हथ्थ हकीम दे फड़ी रहिणी। चार रोज़ ता सड़क ते सैर करलै, बग्गी विच तबेलियां खड़ी रहिणी। जिस दौलत दाबन्देया मान करने. दौलत विच जमीन दे पई रहिणी।


कर्ज चुकाना अच्छा, फर्ज निभाना अच्छा।


बुराई का नियन्त्रण अच्छा, अच्छाई का निमंत्रण अच्छा


आत्मा की शक्ति अच्छी, और परमात्मा की भक्ति अच्छी


खेल में जीतना अच्छा, प्रेम में हारना अच्छा।


चरित्र निखरे तो अच्छा, प्यार बिखरे तो अच्छा।


        धर्म में तत्परता, वाणी में मधुरता, दान में उत्साह, मित्रों से निष्कपटता, गुरुजनों के प्रति नम्रता, चित्त में गंभीरता, आचार में पवित्रता, गुणग्रहण में रसिकता, शास्त्र में विद्वत्ता, रूप में सुन्दरता और हरिभजन में लगन-ये सब गुण सत्पुरुषों में ही देखे जाते हैं।


        संसार में अभिमानी व्यक्ति महान नहीं होते,


        और महान व्यक्ति अभिमानी नहीं होते।


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