भगवान् से मांगने में भूल न करो

भगवान् से मांगने में भूल न करो



      साधारणमानव बड़ी भूल करता है। जो वस्तु उसे बिना मांगे अपने आप मिल जानी होती है-उसको तो मांगता रहता है-पर जो बिना मांगे मिलनी ही नहींउसे मांगता ही नहीं। मनुष्य मांगता है-यश और बल। दान करता है तो चाहता है मेरा यश हो । पर वह कितनी भूल करता है-दान करनेवाले का तो बिना उसकी इच्छा के तुरन्त ही यश होने लग जाता है । यह तो एक प्रकार का परोपकार, सेवा, दान आदि का मल है । जैसे मनुष्य अन्न खाता है तो उससे अपने आप मल बनता है। मनुष्य को कोई इच्छा करने की आवश्यकता नहीं । परोपकारी और दानी का यश तो मल के समान अपने आप बनता है। और जैसे भोजन खाने से बल भी अपने आप आ जाता है ऐसे ही उपकार करने से बल भी स्वतः बढ़ता है। मनुष्य मांगता है धन । यद्यपि यह उसके पूर्व-कर्मों का फल है अपने आप ही मिल जाना है।


      मनुष्य को मांगना चाहिए-नामदान, भक्तिदान, जनसेवा. परोपकार, दान-पुण्य, सुविचार, सद्बुद्धि । जो दान-परोपकार मांगेगा उसे प्रभु धन और बल यदि देंगे तो वह दान और परोपकार कर सकेगा अन्यथा उसकी प्रार्थना क्या हुई ?


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