बलात्कारी को सजा और महाराज शिवाजी
*बलात्कारी को क्या सजा दी जाए ये आज तक हमारे नपुसंक कानून को नहीं पता।*
(जो शिवाजी महाराज जी ने मात्र १५ साल की उम्र में सजा देकर कर दिखाया था।)
रांझा गाँव के एक पाटिल ने जब एक युवती से बलात्कार करके उसकी हत्या कर
दी तब शिवाजी महाराज ने पाटिल को बुलावा भेजा। पाटिल ने शिवाजी महाराज को बालक कह कर मजाक उड़ाया और आने से इंकार कर दिया।
तब शिवाजी महाराज ने सेना भेजी और कहा - रांझा गाँव के पाटिल को घोड़े के पीछे बांधकर उसे घसीट कर ले आने का आदेश दिया। पाटिल को उपस्थित किया गया।
पाटिल ने क्षमा मांगते हुए कहा उसे जान से ना मारा जाये! तो
छत्रपति शिवाजी महाराज-: ने कहा की "हम तुम्हे जान से नही मारेंगे (पूरा दरबार इस
निर्णय से अचंभित होगया)
छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने सैनिको को आदेश दिया इसके दोनों हाथ पैर काट दिए और उसकी आँखे फोड़ के बीच चौराहें पर लटका दिया जाए और आदेश जारी किया जो कोई भी उसे देखें उसपर थूक कर जाये"।
छत्रपति शिवाजी महाराज के आदेश पर सैनिको ने रांझे गाँव की पाटिल के आंख फोड़ दिए, दोनों हाथ पैर काटके बीच चौराहें लटका दिया एवं आदेश अनुसार उसको देखने वाले सभीलोग उसपर थूकते थे,
ताकि लोगोंको पता चले, बलात्कारियों को कैसी सजा मिलती है और आगे से कोई भी बलात्कार करने की हिम्म्त न जुटा पाये। इस घटना के बाद मराठा शाही में किसी भी बलात्कार की घटना का उल्लेख नहीं है।
*जय शिवजी महाराज*
संस्कृत के कवि आचार्य मेधाव्रत जी ने शिवाजी महाराज के प्रशंसा में पंक्तियाँ लिखीं हैं -
*मोहम्मदानां मद मर्दनार्थं,*
*गो वेद विप्र प्रतिपालनाय।*
*तदा महाराष्ट्र मही महेन्द्रो,*
*जनीं गतः सः शिवराज वीरः।।*