आर्यसमाज द्वारा त्रिपुरा के जनजाति क्षेत्र में संचालित गुरुकुल में साध्वी सरस्वती का आगमन हुआ। 

आर्यसमाज द्वारा त्रिपुरा के जनजाति क्षेत्र में संचालित गुरुकुल में साध्वी सरस्वती का आगमन हुआ। 


    गुरुकुल के विषय में उन्हीं के शब्दों में जानिए-


         "त्रिपुरा प्रवास के दौरान कुछ समय के लिए धर्मनगर से थोड़ा दूर पनीसागर स्थित महर्षि दयानंद आर्य गुरुकुल में जाना हुआ गुरुकुल के सात्विक वातावरण और बच्चों के निश्छल प्रेम ने मन मोह लिया वास्तव में छोटी - छोटी बेटियाँ इतने भाव से संस्कृत के मंत्रो का उच्चारण करती है जैसे साक्षात माता सरस्वती का वास हो उनकी जिह्वा पर इतना ही नहीं ये बेटियाँ दैनिक जीवन के कार्यों के साथ - साथ योग , प्राणायाम , संगीत इत्यादि में भी अभी से पारंगत है वास्तव में भारत के गाँव गाँव में ऐसे गुरुकुल होने चाहिए ताकि हमारी संस्कृति पुनः विश्व गुरु के पद पर प्रतिष्ठित हो। "


       ईसाई मिशनरियों से धर्म और संस्कृति की रक्षा हेतु संचालित इस गुरुकुल को आप अपनी इच्छानुसार सहयोग करने हेतु संपर्क कीजिये। 


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