आर्य-पथ


आर्य-पथ 




हम हैं उस पथिक के समान


जिसे कर्तव्य बोध है


पर नजर नही आता है


सही रास्ता


अनेक रास्तों के बीच


हो जाता है दिग्भ्रमित।


इस भ्रम कोतोड़कर


रात्रि की कालिमा को देखकर


स्वर्णिम प्रभात की ओर


गमन करने वाला ही


पाता है सुखद अनुभूति


और सफल जीवन की संज्ञा।


हमें संकल्पित होना चाहिए कि


कितनी भी बाधाएँ आएँ


कभी नहीं होंगे


विचलित और निरुत्साहित।


जब आर्यपुत्र


मेहनत, लगन और सच्चाई से


जीवन में करता है संघर्ष


तब वह कभी नहीं होता है


पराजित।


ऐसी जीवन-शैली ही


कहलाती है जीने की कला


औरप्रतिकू ल समय में


मार्गदर्शन देकर


बन जाती है


जीवन-शिला।



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