आओ इतिहास

आओ इतिहास से सीखे 


अपने फेसबुक मित्रों के लिए हम विश्व इतिहास पर आधारित एक नई श्रृंखला शुरू कर रहे हैं यह न केवल रोचक और ज्ञानवर्धक है अपितु हमें यह भी बताती है कि भविष्य में हमें क्या क़दम उठाने चाहिए ।


पहली कड़ी - मिस्र


मिस्र विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं का केंद्र रहा है । कहा जाता है कि सभ्यता का उत्कर्ष 3150 ईसा पूर्व के आसपास हुआ था । एक शब्द है -फैरों । फैरों का मोटे तौर पर मतलब शासक या राजा से है । 3150 ईसा पूर्व से लेकर 31 ईसा पूर्व तक  मिस्र पर मिस्र मूल के कई शासकों ने शासन किया । और एक एक वंश में कई फैरो हुए जैसे कि किसी वंश में 4 पीढ़ियों ने शासन किया तो किसी की दो या तीन पीढ़ी । यह सभी फैरों शासक राज्य प्रमुख के साथ साथ धार्मिक प्रमुख भी हुआ करते थे । यहां यह बात विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि इस काल में मिस्र के अधिकतर लोग मूर्तिपूजक और प्रकृति पूजक थे । वे अलग-अलग स्थानीय देवताओं की पूजा करते थे । राजाओं द्वारा वहां बड़ी संख्या में मंदिरों का निर्माण कराया जाता था । इसके साक्ष्य आज भी मौजूद हैं । हम यह तो नहीं कह सकते कि यह लोग हिंदू थे लेकिन इनकी धार्मिक मान्यताएं सनातन धर्म की मान्यताओं से बहुत कुछ मेल खाती थी । 3150 ईसा पूर्व में अमेनहोटेप -चार सिंहासन  आरूढ़ हुआ । उसने अपना नाम अमेनहोटेप से बदलकर अखेनातेन रख लिया और उसने धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करते हुए  अतेन अर्थात सूरज को सर्वोच्च देवता घोषित कर दिया और तमाम दूसरे देवताओं की पूजा अर्चना पर रोक लगा दी । इससे वहां अंदरूनी संघर्ष छिड़ गया । धीरे-धीरे वहां राजनीतिक सत्ता कमजोर हो गई मिस्र के अंदर विद्रोह होने लगे और बाहरी राजाओं ने भी उस पर आक्रमण किए । वहां के फैरों अराजक तत्व और बाहरी आक्रमणों से खुद नहीं निपट पाए तो उन्होंने अपनी रक्षा और अपने सैनिकों को प्रशिक्षित करने के लिए यूनान से किराए पर सैनिक बुलाए । कालांतर में यूनान से आए इन सैनिकों ने मिस्र पर कब्जा कर लिया और 31 ईसा पूर्व रोमन साम्राज्य ने मिस्र को अपना एक प्रांत बना लिया ।  रोमन साम्राज्य का मिस्र पर लगभग 670 वर्षों तक अर्थात 31ईसा पूर्व से लेकर 641 ईसा पूर्व तक कब्ज़ा रहा ।उन्होंने वहां ईसाईयत को लाने का भरसक प्रयास किया लेकिन इसके बाद भी वहां काफी बड़ी संख्या में मूर्तिपूजक बने रहे । इसके बाद 639 में मुस्लिम शासक रशीदुन की सेना ने इस पर आक्रमण कर दिया । 641 ईसवी में रसीदुन की सेना विजयी हुई और मिस्र पर मुसलमानों का कब्जा हो गया । हाल की जनगणना के अनुसार वर्तमान में विश्व की कुल जनसंख्या लगभग 10 करोड है । इसमें से 94.9 प्रतिशत मुसलमान हैं । 5.1 प्रतिशत ईसाई हैं और 1 प्रतिशत आबादी में यहूदी , बौद्ध और दूसरे धर्म के अनुयाई आते हैं ।
 इतिहास के छात्र कभी मिस्र का इतिहास पढ़ेंगे तो पाएंगे कि प्राचीन मिस्र में लोग परमात्मा और पुनर्जन्म में विश्वास करते थे । मिस्र के देवालय अलौकिक शक्तियों वाले देवताओं से आच्छादित थे जिन्हें प्रतिदिन प्रसाद और पूजा से संतुष्ट किया जाता था। आम नागरिक घरों में निजी मूर्तियां रखते थे और उनकी पूजा करते थे।
 ये सारे तथ्य किस ओर इशारा कर रहे हैं । जरूरत है कि हम इतिहास से सीखें । यदि नहीं सीखे तो जिस तरह प्राचीन मिस्र की सभ्यता लुप्त हो गई ,उसी तरह भारतीय संस्कृति  और सनातन धर्म भी अगले 50 वर्षों में सदैव के लिए विलुप्त हो जायेंगे।


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