आनन्द स्त्रोत बह रहा


आनन्द  स्रोत  बह   रहा   पर  तू   उदास   है ।


अचरज यह जल में रह के भी मछली को प्यास है ॥


फ़ूलों   में   ज्यों  सुवास , ईख  में  मिठास  है ,


भगवान का त्यों विश्व के कण  – कण में वास है ॥ आनन्द………


 


टुक  ज्ञान   चक्षु  खोल  के तू, देख  तो  सही  ,


जिसको  तू   ढूंडता   है  सदा  तेरे   पास   है ॥ आनन्द ……….


कुछ  तो समय निकाल  आत्म शुद्धि  के  लिए  ,


नर  जन्म  का उद्देश्य  ना केवल  विलास  है   ॥ आनन्द …….


 


आनन्द मोक्ष का न पा सकेगा जब तलक ,


तू जब तलक “प्रकाश” इन्द्रियों का दास है ॥


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