आचरण का महत्व

आचरण का महत्व


            स्वामी दयानंद की दृष्टि में मनुष्य का आचरण सर्वापरि था। मुरादाबाद प्रवास के समय की घटना है। साहू श्यामसुन्दर जो मुरादाबाद का धनाढ्य मगर ढीले चरित्र का व्यक्ति था ने स्वामी जी को अपने घर पर भोजन के लिए आमंत्रित किया। स्वामी जी ने उसके निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया। इतने में एक सज्जन व्यक्ति ने स्वामी जी को अपने घर पर भोजन के लिए आमंत्रित किया। जिसेस्वामी जी ने स्वीकार कर दिया। साहू श्यामसुन्दर ने इस भेदभाव का कारण जानना चाहा। स्वामी जी ने कुछ भी उत्तर न दिया। बाद में व्याख्यान में स्वामी जी साहू श्यामसुन्दर को सम्बोधित करते हुए बोले "जब तक आप अपना आचरण नहीं सुधारेंगे, मैं कभी आपके घर नहीं जाऊँगा।"


            व्याख्यान सुनने वालो पर इस घटना का व्यापक प्रभाव हुआ।


डॉ विवेक आर्य


Popular posts from this blog

ब्रह्मचर्य और दिनचर्या

वैदिक धर्म की विशेषताएं 

अंधविश्वास : किसी भी जीव की हत्या करना पाप है, किन्तु मक्खी, मच्छर, कीड़े मकोड़े को मारने में कोई पाप नही होता ।