वेद सन्देश

वेद सन्देश


 


      भाग-1 – इसमें मनुष्य को मनुष्य बनाने, छः शत्रुओं का दमन, भय और अभय, सदाचार, मृत्यु पर विजय, धरती पर स्वर्ग, विश्वशांती में वेदों की भूमिका, मन-वशीकरण, वाणी ऐसी बोलिए, अहंकार इस विषय में वर्णन किया गया है।


     भाग-2 – इसमें ईश्वरोपासना, ईश्वर का आश्रय ही सबसे बड़ा आश्रय है, पञ्चदेव, हम परोपकार के मार्ग से परे न हों, स्वाध्याय, मोह के समान कोई मादक द्रव्य नहीं, अंहिसा भी और हिंसा भी, समय सब द्रव्यों से अधिक मूल्यवान है आदि विषयों का विवेचन किया गया है।


     भाग-3 – इसमें ईश्वर, सच्चे ईश्वर भक्त के लक्षण, अपनी पडताल, सदाचार, लोभ, मोह, ईर्ष्या, अहंकार, हृदय परिवर्तन, गृहास्थाश्रम, परोपकार, त्याग, दान, स्वाभिमान, उदारता, धैर्य आदि विषयों का वर्णन किया है।


     भाग-4 – इसमें ध्यान, वाणी का संयम, वाक्पटुता, स्वस्थता, संकल्प, साहस और उत्साह, कर्तव्यपालन, छुआछूत, हिन्दी भाषा, वेशभूषा, जीने की कला सीखिए आदि विषयों का उल्लेख किया है।


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