22दिसंबर समय 27 दिसम्बर बलिदान दिवस मनायें

22 दिसम्बर से 27 दिसम्बर तक बलिदान दिवस के रूप में  सिक्ख बंधुओं द्वारा मनाया जाता है। क्योंकि विश्व के इतिहास में अपने धर्म के लिए अपने चारों बेटों की जान की बाजी लगा देने का अद्वितीय उदाहरण है।  22 दिसम्बर को गुरु गोबिंद सिंह 40 सिक्ख फौजों के साथ चमकौर के एक कच्चे किले में 10 लाख मुगल सैनिको से मुकाबला कर रहे थे। इस युद्ध में गुरु गोबिंद सिंह जी के बड़े बेटे 17 वर्ष के अजीत सिंह मुगलों से लड़ते हुए शहीद हुए। बड़े भाई की शहादत को देखते हुए 14 वर्ष के पुत्र जुझार सिंह ने पिता से युद्ध के मैदान में जाने की अनुमति मांगी। एक पिता ने अपने हाथो से पुत्र को सजाकर युद्ध के मैदान में भेजा। मुगलों पर भारी साहेबजादा जुझार सिंह ने युद्ध के मैदान में दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए और लड़ते लड़ते वीरगति को प्रा'त हुए। दूसरी ओर गुरु के दोनों छोटे बेटे जोरावर सिंह 5 वर्ष और फतेह सिंह 7 वर्ष अपनी दादी माता गुजरी जी के साथ युद्ध के दौरान पिता से बिछड़ गए। रसोइया गंगू के धोखाधड़ी की वजह से सरहंद के नवाब वजीर खान ने उन्हें बंदी बना लिया। इस्लाम कबूल न करने पर 27 दिसम्बर को दोनों को दीवार में चुनवा दिया गया था।
आज उनके बलिदान को स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित है।


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