यज्ञ श्रेष्ठतम कर्म

यज्ञ श्रेष्ठतम कर्म


यज्ञ जीवन का हमारे श्रेष्ठ सुन्दर कर्म है।


यज्ञ का करना कराना आर्यों का धर्म है।।


यज्ञ से दिशि हों सुगन्धित शान्त हो वातावरण।


यज्ञ से सद्ज्ञान हो, हो यज्ञ से शुद्धाचरण।


यज्ञमय अखिलेश ! ऐसी आप अनुकम्पा करें।


यज्ञ के प्रति आर्य जनता में, अमित श्रद्धा भरें।


यज्ञ पुण्य 'प्रकाश' से सब पाप-ताप तिमिर हरें।


यज्ञ-नौका से अगम संसार सागर को तरें।।


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