विद्या का फल


          प्र.) जो विद्या पढ़ा हो और धार्मिकता न हो तो उसको विद्या का फल होगा वा नहीं?


         उ.) कभी नहीं, क्योंकि विद्या का यही फल है कि जो मनुष्य को धार्मिक होना अवश्य है। जिसने विद्या के प्रकाश से अच्छा जानकर न किया और बुरा जानकर न छोड़ा तो क्या वह चोर के समान नहीं है? क्योंकि जैसे चोर भी चोरी को.बुरी जानता हुआ करता है और साहूकारी को अच्छी जानके भी नहीं करता वैसे ही जो पढ़के भी अधर्म को नहीं छोड़ता और धर्म को नहीं करनेहारा मनष्य है।


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