विधाता तू हमारा है (भजन)

विधाता तू हमारा है (भजन)


विधाता तू हमारा है, तू ही विज्ञान-दाता है ।


बिना तेरी दया कोई, नहीं आनन्द पाता है |विधाता०|


तितिक्षा की कसौटी पर, जिसे तू जांच लेता है ।


उसी विद्याधिकारी को, अविद्या से छुड़ाता है |विधाता०|


सताता जो न औरों को, न धोखा आप खाता है ।


वही सद् भक्त है तेरा, सदाचारी कहाता है |विधाता०


|सदा जो न्याय का प्यारी, प्रजा को दान देता है।


महाराजा उसी को, बड़ा राजा बनाता है |विधाता०|


तजे जो धर्म की धारा, कुकर्मों की बहाता है ।


न ऐसे नीच पापी को, कभी ऊँचा चढ़ाता है |विधाता०|


स्वयंभू शंकरानन्दी, तुझे जो जान लेता है।


वही कैवल्य-सत्ता की, महत्ता में समाता है |विधाता०|


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