तीन अनादि पदार्थ


 तीन अनादि पदार्थ


        संसार में ईश्वर, जीव, प्रकृति-ये तीन पदार्थ सदा रहने वाले हैं। इनका कोई आरम्भ या अन्त नहीं है। ईश्वर के सम्बन्ध में ईश्वर के गुण, कर्म, स्वभाव विषय में कह आए हैं। वहां देख लेना चाहिए। 


       जीव-अनन्त हैं। हर मनुष्य, पशु, पक्षी, कीट, पतंग आदि में अलग-अलग स्वतन्त्र जीव है। इसे ही आत्मा कहते हैं। यह जीवात्मा सदा रहने वाला है। जीव कर्म करने में स्वतन्त्र है। परन्तु कर्म करने के पश्चात् उसका यथायोग्य फल भोगना ईश्वर के अधीन है। एक ही आत्मा अपने कर्मों के फलस्वरूप मनुष्य शरीर में तथा पशुपक्षी आदि शरीरों में घूमता रहता है। आत्मा और शरीर के मिल जाने का नाम जन्म है। इनके अलग-अलग हो जाने का नाम मृत्यु। 


       प्रकृति-जिसे अंग्रेजी में मैटर कहते हैं। हमारा शरीर, मकान, जल, वायु, अग्निपृथ्वी आदि सभी प्रकृति से ही बने हैं। प्रकृति भी सदा रहने वाली वस्तु है। केवल अन्तर इतना है कि यह अपना रूप बदलती रहती है। जो आज लकड़ी है आग में जला देने से वह कार्बन, वाष्प और गैसों में बदल जाती है। इस प्रकार बदलने वाले सभी पदार्थ प्रकृति कहलाते हैं। यह प्रकृति कम या अधिक नहीं होती-


       विशेष विचारणीय-आज का विज्ञान केवल प्रकृति को ही अनादि मानता हैपरन्तु वेद इसके साथ दो और पदार्थों-ईश्वर और जीव को भी अनादि मानता है।


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