स्वाध्याय के लाभ
स्वाध्याय से लाभ
(१) मानव मन में एकाग्रता, स्थिर चित्तता के भाव।
(२) नित्य प्रति अपने इष्ट के प्रति कर्मों को सिद्ध करना।
(३) अपने हानि-लाभ की प्राप्ति में स्वयं को समझना।
(४) ज्ञान और कर्मेन्द्रियों का संयम रखने में तत्परता
(५) बुद्धि की विचार-शक्ति बढ़ाना व यश की प्राप्ति करना फिरचरित्र की शुद्धता में समर्थ होना।
स्वाध्याय स्वयं एक तप है। वेदशास्त्र का पढ़ना-पढ़ाना, ईश्वर का ज्ञान प्राप्ति ही विद्या विषयक अर्थ है।
१. संध्या ही प्रभु-भक्ति, स्वाध्याय व आत्म-शक्ति को बढ़ाने वाली है।
२. भक्ति अन्तरात्मा की गहरी भावनाओं का नाम है जो बिना किसी आडम्बर के प्रभु सत्ता का अनुभव करने से पैदा होती है।
३. मनुष्य का महान् शत्रु मृत्यु है, इसके भय से बचने के लिए व सच्ची शान्ति, स्थायी सुख और आनन्द की प्राप्ति के लिये संध्या की आवश्यकता है।
हम प्रभु के आगे, अहंकार से हटकर कृतज्ञता के भाव प्रकट करें कि आपने हमें सभी कुछ प्रदान किया है। आप हमें सद्बुद्धि प्रदान कर सन्मार्ग का पथिक बनावें।