स्त्री पुरुष आपस में कैसे वर्ते
प्र.) विवाह करके स्त्री पुरुष आपस में कैसे वर्ते
उ.) कभी कोई किसी का अप्रियाचरण अर्थात् जिस-जिस व्यवहार से एक दूसरे को कष्ट होवे सो काम कभी न करें। जैसे कि व्यभिचार आदि। एक दूसरे को देखकर प्रसन्न हों, एक दूसरे की सेवा करें। पुरुष भोजन, वस्त्र, आभूषण और प्रियवचन आदि व्यवहारों से स्त्री को सदा प्रसन्न रखें और घर के सब कृत्य उसके आधीन करे। स्त्री भी अपने पति से प्रसन्नवदन, खान-पान प्रेमभाव आदि से उसको सदा हर्षित रखे कि जिससे उत्तम सन्तान हो और सदा दोनों में आनन्द बढ़ता जाय।