सृष्टि का प्रारम्भ

              सृष्टि का प्रारम्भ


                     मनुष्य का स्वाभाविक ज्ञान पशुओं से कम है। गाय, बैल आदि पशुओं के बच्चे स्वभावत: तैरना जानते हैं, परन्तु मनुष्य सीखे बिना तैर सकता। मनुष्यों को पशुओं से जो विशेषता प्राप्त है, उसका कारण यह है कि नैमित्तिक ज्ञान प्राप्त करने और प्राप्त करके उसकी करने की योग्यता रखता है। यही नैमित्तिक ज्ञान, मनुष्यत्व की भित्ति ऊँची किया करता है। इसी योग्यता का लगभग अभाव, पशुओं ऊँचा होने से रोक दिया करता है। स्वाभाविक ज्ञान जन्म-सिद्ध है, परन्तु नैमित्तिक ज्ञान अन्यों से प्राप्त किया जाता है। इस समय माता, पिता और अध्यापकं वर्ग से प्राप्त किया जाता है। माता, पिता और अध्यापकं वर्ग से प्राप्त किया जाता है।              परन्तु जगत् के प्रारम्भ में, जिसे दुनिया की पहली नस्ल कहा जाता है, अमैथुनी सृष्टि होने के कारण, उसे कोई शिक्षा देकर नैमित्तिक ज्ञान प्राप्त कराने वाला नहीं होता। इस सम्बन्ध में अमैथुनी सृष्टि का समझ लेना कदाचित् उपयोगी होगा। 


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