श्रेष्ठ सुख दो

 श्रेष्ठ सुख दो


विश्वेषामदितिर्यज्ञियानां विश्वेषामतिथिर्मानुषाणाम्।


अग्निर्देवानाम आवृणानः सुमृळीको भवतु जातवेदाः ।।


विनय-क्या तुम जानते हो कि हम मनुष्य जो देवों का यजन करते हैं और उसके बदले में ये देव हम मनुष्यों को इष्ट-फल प्रदान करते हैं, यह सब क्योंकर होता है? हम मनुष्यों का देवों के साथ जो यह यज्ञिय सम्बन्ध जुड़ा है, उसका जोड़नेवाला कौन हैयह अग्नि है, जातवेदा है। इस प्रयोजन के लिए यह अनिदेव जहाँ एक ओर सब देवों का अदिति है, वहाँ दूसरी ओर सब मनुष्यों का अतिथि हुआ है। जहाँ यह सब यजियों, यजनीयोंदेवों का अखण्डित निवास-स्थान है, उनकी माता है, वहाँ यह हम मनुष्यों के उपकार के लिए स्वयं यजनीय-पूजनीय अतिथि होकर हमारे पास भी आया हुआ है। इस अतिथिरूप से यह हमारा हवि ग्रहण करता है और अदिति-रूप से यह उसे देवों को पहुँचाताहै और फिर जो ये देवगण प्रतिफल में हमारे लिए 'अव:' देते हैं, रक्षा एवं तृप्ति आदि भेजते हैं, उसे स्वीकार करता हुआ यही अग्नि 'जातवेदा' होकर हम मनुष्यों को अभीष्ट सुख पहुँचाता है। इस समय इसका नाम जातवेदा इसलिए होता है चूँकि तब इसमें देवों द्वारा प्रतिफल में आया हुआ 'वेदस्' अर्थात् अभीष्ट ऐश्वर्य उत्पन्न हो चुका होता है। यह प्रक्रिया है जिससे कि यजन द्वारा हमें अभीष्ट फल, सुख, शान्ति, समृद्धि आदि प्राप्त होते हैं। यह अग्निदेव ही है जिसके द्वारा 'हम देवों को भावित करते हैं और देव हमें भावित करते हैं एवं परस्पर भावित करते हए हम परम कल्याण की ओर जा रहे हैं।' देखो, यह सब अग्निदेव की महिमा है। उपनिषदों में इसकी महिमा प्राणाग्नि आदि नाम से बहुतपहुत गाई गई है। नि:सन्देह इस अग्निदेव की जितनी महिमा गाई जाए उतनी थोड़ी है


ह परमेश्वर ! हे अग्नियों के अने! तुम हमपर ऐसी कृपा करो जिससे ये महिमाशाली अग्रिदेव  हम यजनशील पुरुषों के लिए सदा उत्तम सुख देनेवाले रहें, सदा श्रेष्ठ सुख प्रदान करते रहें 


शब्दार्थ-अग्नि    विश्वेषाम् =  सब        यज्ञियानाम = यजनियो  का, देवों का   अदितिः= अखण्डित निवास स्थान है, या माता है और      विश्वेषाम् = सब     मानुषाणाम् =  मनुष्यों का    अतिथि: = अतिथि है, आता हुआ मेहमान है।     अग्निः =  वह अग्नि     देवानाम् देवों के    = रक्षण-तृप्ति आदि फल को      आवृणान: =  स्वीकार करता हुआ     जातवेदा: = और अभीष्ट ऐश्वर्यों से युक्त हुआ-हुआ [हमारे लिए सदा]    सुमृळीकः = उत्तम सुख देनेवाला   भवतु = हो।


 


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