श्रीयुत लाला हरकिशनलाल

श्रीयुत लाला हरकिशनलाल


(आत्मकथा)


       "मेरी गिरफ्तारी एकाएक हुई। मेरी कल्पना भी न थी कि मैं गिरनार किया जाऊंगा। मैं और मेरे साथी हड़ताल बन्द करवाने की बहुत बेष्टा कर रहे थे। महात्मा गांधी की गिरफ्तारी के कारण लाहौर में भी हड़ताल हुई थी। १० और १८ तारीख़ को बिना अपराध भारतीयों पर गोली चलाई गई. इससे हड़ताल ने और भी विराट रूप धारण कर लिया, साथ ही लोगों का जोश भी उमड़ पड़ा। इसी बीच में लाहौर के अन्यान्य लीडरों के साथ मुझे भी गिरफ्तार किया गया |


जेल में सुलक


      गिरफ्तारी के समय और फैसले के बाद मेरे साथ अच्छा बर्ताव रहा, परन्तु अमृतसर और गुजरांवाला के लीडरों के साथ कठोर व्यवहार किया गया था। अन्यान्य शहरों और गांवों के कैदियों के साथ तो साधारण कैदी और भी खूखार हो जाते हैं। नई कौंसिलों का गठन होने पर जेलखानों की पाशविकता को हटाकर मनुष्यता की रक्षा करनी चाहिए।


पहले पंजाब की दशा


      १० अप्रैल १९१९ से पहले पंजाब में बिल्कुल शान्ति थी। हां, सर ओडायर पंजाब में सार्वजनिक जीवन का नाश करना चाहते थे। उन्होंने अपने शासन में इसके लिए बहुत चेष्टाएं कीं। बहुत कुछ सफलता भी हुई। इसके साथ ही लार्ड चेम्सफोर्ड की सरकार भी सहमत थी, नहीं तो कोई कारण नहीं था कि पंजाब में हम लोगों के ठीक-ठाक सूचना देते रहने पर भी इस तरह से लोगों पर अत्याचार हो। पंजाब में जो कुछ हुआ है, यद्यपि इसकी आशा नहीं थी, पर सर ओडायर के कठोर शासन से उकताकर हर पढ़ा-लिखा पंजाबी घृणा करने लगा था। मेरे ख्याल में अशान्ति का कारण सर ओडायर था और उसने ही अपने निकर्म शासन से ब्रिटिश शासन पर एक तरह का बदनुमा धब्बा लगा दिया |


सरकार और लीडर


      पंजाब सरकार और उसके गुरगे हमेशा यह समझते रहे हैं कि भारतीयों, खासकर पंजाबियों का राजनीति से क्या सम्बन्ध? ये सब तो उन की दृष्टि में वन पशु हैं। बातचीत में साधारणतया जिन्हें आजकल पंजाब के लीडर कहा जाता है बेशक इनके साथ सर ओडायर और उसकी सरकार ने कभी अच्छा बर्ताव नहीं किया। बराबर यह ख्याल किया जाता रहा कि पंजाबी जंगली हैं, उनका राजनीति से कोई सम्बन्ध नहीं। राजनीति के लिए पश्चिमवासियों ने ही जन्म लिया है और उनकी ही बपौती है। पंजाब की सरकार जो कुछ आज्ञा दे, उसे पालन करना मात्र पंजाबियों का कर्त्तव्य है। इसी भूल और भ्रम के कारण अगर बस चलता, तो सर ओडायर पंजाबी नेताओं को मार्शल-ला से पहले ही कुचल डालता। अब उसने साधारण-सी घटना से अनुचित फायदा उठाया और पंजाब के फूंस के ढेर में अशान्ति की आग की चिनगारी लगाकर उसे प्रचण्डता के साथ प्रज्वलित कर दिया। मेरे ख्याल में मार्शल-ला के कारण मृतप्रायः पंजाब में फिर जीवन का संचार हुआ और वह ऐसा हुआ जो शायद तिलक, गांधी और गोखले जैसे लीडरों के आन्दोलन से इतना शीघ्र कभी न होता।


नये लाट


       सर एडवर्ड मेंकलेगन नये लाट की भूमिका खासी है। पर आरम्भ में ही उसके सम्बन्ध में कुछ निश्चय कर सकना भविष्यवादिता ही होगी। मेरे ख्याल में सर ओ डायर के साथी चारों ओर से उन्हें घेरे हुए हैं। उनकी उपस्थिति में कोई किसी तरह का परिवर्तन कर सकना सर मेंकलगन के अधिकार से बाहर की बात मालूम होती है। हां, भारत सरकार स्वयं कुछ शासन में परिवर्तन कर दे तो दूसरी बात है। वरन् अभी बहुत दिनों तक के लिए विपत्तियों के बादल हमारी और सरकार की प्रतीक्षा कर रहे हैं।


पंजाबी कला-कौशल


       पंजाब में कोई ऐसा काम नहीं हो रहा है जिससे गरीब पंजाबी किसी तरह का व्यापार और स्वदेशी कला कौशल की उन्नति कर सके। जब से सर ओ डायर की सरकार ने पंजाब के बैंकों पर हाथ साफ किया है और धड़ा-धड़ बैंक बन्द हुए हैं, तब से व्यापारिक उन्नति के लिए पंजाब सिर नहीं उठा सका। इस सम्बन्ध में कमीशन बैठा थायदि उसकी स्कीम के अनुसार पंजाब सरकार ने कुछ उदार स्वभाव दिखाया तो सम्भव हो सके।"


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