शिला रोहण, ध्रुव दर्शन एवं ग्रन्थि-बन्धन
शिला रोहण, ध्रुव दर्शन एवं ग्रन्थि-बन्धन
-की विधियों में पति-पत्नी धर्म में शिला की भाँति दृढ़ रहने या पति-पत्नी प्रेम के बीच में आने वाले बाधक तत्वों को रोड़े की भाँति दबा देने, ध्रुवतारा की तरह प्रतिज्ञाओं में स्थिर और निष्कम्प रहने तथा प्रतिज्ञाओं की गाँठ देने अर्थात् सदैव स्मरण रखने का सुन्दर शिक्षण है। इस गाँठ में अपूर्वता है-
जहाँ गाँठ तहं रस नहीं, यह जानत सब कोइ।
मँडवे तर की गाँठ में, गाँठ-गाँठ रस होइ॥