शिक्षा/विद्या/अविद्या

                                                           


   


  प्र.) शिक्षा किसको कहते हैं?


        उ.) जिससे मनुष्य विद्या आदि शुभ गुणों की प्राप्ति और अविद्यादि दोषों छोड़ को सदा आनन्दित हो सकें वह शिक्षा कहाती है।


 


         प्र.) विद्या और अविद्या किसको कहते हैं?


       उ.) जिससे पदार्थ का स्वरूप यथावत् जानकर उससे उपकार लेके अपने और दूसरों के लिये सब सुखों को सिद्ध कर सकें वह विद्या और जिससे पदार्थों के स्वरूप को उलटा जानकर अपना और पराया अनुपकार कर लेवें वह अविद्या कहाती है।


 


     प्र.) मनुष्यों को विद्या की प्राप्ति और अविद्या के नाश के लिये क्या-क्या कर्म करना चाहिये?


       उ.) वर्णोच्चारण से लेकर वेदार्थज्ञान के लिये ब्रह्मचर्य आदि कर्म करना योग्य है।


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