संन्यास-दीक्षार्थी का स्नान


संन्यास-दीक्षार्थी का स्नान


      व्यक्ति के हर जन्म के पश्चात् कुछ प्रक्रियाएँ सामान्य हैं। उनमें एक स्नान-विधि भी है। जन्मदात्री माता की कुक्षि से जन्म होने पर शिशु को सर्वप्रथम स्नान कराया जाता हैवैसे तो गर्भभूत प्रत्येक प्राणि मातृ-कुक्षि में रहनेवाले पष्कर तीर्थ में स्नान करता रहता है। वहाँ से स्नातक होने पर ही उसका जन्म हुआ है। अब विद्या माता की कक्षि में जाने की तैयारी है। इसलिए उसे स्नान कराया जा रहा है। जैसे ही वह गुरुकुल में प्रवेश करेगा, वैसे ही आचार्यश्री उसे प्रतिदिन विद्या-समुद्र में स्नान कराएँगे, उसे तैरना सिखाएँगे। पहले उसे घुटने तक जल में तैराएँगे, और फिर कटि-प्रवेश तक गहरे जल में, और फिर उरस्थल गहरे जल में, और समय आएगा कि वह स्वयं तैरने लगेगा। फिर वह ऐसा तैराक बन जाएगा कि इस कोने से उस कोने तक तैरकर जाएगा। तब कहेंगे कि यह उत्तीर्ण हो गया, यह स्नातक हो गया। वैदिक शिक्षा-पद्धति के ये दोनों शब्द कितने महत्त्वपूर्ण हैं यह विज्ञजन इनके अर्थों को जानकर समझ सकते हैं। तब समय आएगा कि विद्या-समुद्र को पार कर वह कर्म-समुद्र में पदार्पण करेगा अर्थात् ब्रह्मचर्य आश्रम से गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करेगा। ब्रह्मचर्य सूक्त में कहा भी है-पूर्वस्मात् उत्तरं समुद्रम्। अब जब उसे समाधि माता से जन्म लेना है तो दीक्षार्थी को जलाशय में कटिप्रदेश तक खड़ा किया जाता है और जलाशय से लोटे भर-भरकर अपने ऊपर डालता है, डुबकी नहीं लगाताइसका अभिप्राय भी यही है कि प्रिय वत्स! तुम जिस समाधि-समुद्र में उतरे हो वह अत्यन्त विशाल है। उसका न आदि है न अन्त है। तुम्हें इसमें स्वच्छन्द तैरना होगा। यहाँ तो प्रतीक-रूप तुम्हें जलाशय में उतारा गया है। एक समय आएगा, अपनी इस देह-नाव को छोड़ दोगे और नाव के बिना ही मुक्ति-समुद्र में उतर जाओगे। वहाँ न चप्पू चलाना होगा न नाव होगी। यहाँ तक कि हाथ-पाँव-रूप चप्पू भी न चलाने होंगेतुम आनन्द-लहरों का आनन्द लोगे और जब कभी आप: देवी चाहेंगी तो उस समाधि-समुद्र से तुम्हें संसार-समुद्र में ले आएँगी। फिर अघमर्षण मन्त्रों की यह ऋचा सार्थक होगी-समुद्रादर्णवादधि संवत्सरो अजायत। पूर्व-समुद्र से उत्तर-समुद्र में आओ और तुम जैसी मुक्तात्मा द्वारा यह सृष्टि-चक्र आरम्भ हो जाएगा और सृष्टि-चक्र का आरम्भ कर इस सागर के कर्मरूप किनारे से तैरकर मुक्तिरूप किनारे को पकड़कर मुक्त हो जाओगे। यह हुआ हर जन्म के साथ लगी हुई स्नानप्रक्रिया की व्याख्या।


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