सभी ऋतु रमणीय

सभी ऋतु रमणीय


वसन्तं इन्नु रन्त्यौ ग्रीष्म इन्नु रन्त्यः ।


वर्षाण्यनु शरदो हेमन्तः शिशिर इन्नु रन्त्यः॥


ऋषिः-वामदेवो गोतमः॥ देवता-ऋतुः॥ छन्दः-पङ्किः॥


विनय-मेरे प्रभु की सृष्टि में सभी ऋतुएँ रमणीय हैंहर एक ऋतु में अपनी रमणीयता है। जो लोग प्रभु के प्रेम को नहीं जानते वे ही हर समय, हर ऋतु में अप. रहते हैं। गर्मी में उन्हें शीत याद आता है, पर शीत आ जाने पर वे कहते हैं, "गर्मी ऋतु अच्छी होती है।'' घर्मकाल में वे प्रतिदिन वर्षा की प्रतीक्षा में रहते हैं, परन्त वर्ष आने पर वे बरसात से तङ्ग आ जाते हैंइस प्रकार उन्हें हर समय में शिकायत-ही-शिकायत रहती है। उन्हें कोई भी ऋतु अच्छी नहीं लगती, परन्तु प्रभुप्रेम का कुछ प्रसाद पा लेने पर मझे तो प्रत्येक ऋत में अपने प्रभु की ही कोई-न-कोई प्रतिमा दिखाई देती है। इसलिए गर्मी में मैं सुख से गर्मी का आनन्द लेता हूँ और जाड़ में जाड़े का। वर्षाकाल में मैं खूब बरसात मनाता हूँ और पतझड़ में मैं अपने प्रभु का एक-दूसरा ही सौन्दर्य पाता हूँ। इस तरह मैं हर समय हर ऋतु में अपने प्रभु का दर्शन करता हूँ और देखता हूँ कि प्रत्येक ऋतु अपनी नई-नई प्रकार की रमणीयता के साथ नया-नया प्रभु-सन्देश लाती हुई मेरे पास आ रही है।


मेरे जीवनरूपी संवत्सर में भी इसी प्रकार सब ऋतुएँ आया करती हैं। कभी सुखसम्पत्ति की घड़ियाँ आती हैं तो कभी दुःख-दारिद्र्य के लम्बे दिन व्यतीत होते हैं। कभी अति कार्य-व्यग्रता का राजसिक समय वर्षों तक चलता है तो कभी काफी समय के लिएशिथिलता और दीर्घ-सूत्रता के दिनों की बारी आती है, पर मैं उन सभी का रसास्वादन करता हूँ। ये सभी रस अपने-अपने समय पर प्राप्त होते हुए मुझे प्रिय लगते हैंइस प्रक मैं अपने बाल्यकाल के वसन्त में खूब खेला हूँ, नौ-जवानी की ग्रीष्म के जोशील का का तथा प्रौढ़ता की बरसात के प्रेमपूर्ण दिनों का आनन्द भी मुझे याद है। आजकल सावन जीवन की शरद् और हेमन्त की बहार ले रहा हूँ और देख रहा हूँ कि वार्धक्य का। अपनी बुजुर्गी, अनुभवपूर्णता और परिपक्वता स्वर्गीय आनन्द के साथ मेरी प्रतीक्षा है। निःसन्देह प्रभु की वसन्त ही नहीं किन्तु ग्रीष्म भी रमणीय है, वर्षा और इसक आनेवाली शरद् के साथ उसकी हेमन्त तथा शिशिर भी उसी तरह रमणीय   है । 


शब्दार्थ वसन्तः वसन्त       इत् नु =निश्चय से ही      रन्त्य= रमणीय है और  इत् नु= निश्चय से ही रन्त्य= रमणीय है। वर्षाणि =  वर्षाएँ    हेमन्त = हेमन्त ऋतु,  इत् नु =निश्चय से      रन्त्य= रमणीय है


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