सावन की मल्हार (गीत)
सावन की मल्हार (गीत)
एजी कोई आई है स्वदेशी की बहार।
चरखा प्रचारो बहिना मेरा देश में जी।
सुनियो दुलारी भारत भामिनी जी,
एजी कोई चरखा करैगो सहाय।। चरखा प्रचारो॥१
वस्त्र विदेशी बहिना मेरी त्यागिये जी,
एजी कोई धन और धर्म बचाइ।। चरखा प्रचारो॥२
वस्त्र सहारौ बहिना मेरी शील के जी,
एजी कोई गहनौ ज्ञान सुहाय।। चरखा प्रचारो॥३
ऋषि दयानन्द बहिना कहि गये जी,
एजी कोई भयौ है देश आजाद।। चरखा प्रचारो०॥४