सात्विक वेष


सात्विक वेष


      अर्थ शुचिता तभी सम्भव है जब सात्विक रहन-सहन और सादा जीवन उच्च विचार' के आदर्श को अपनाया जावे आज आवश्यकता-वृद्धि को हमने उच्च जीवन स्तर का माप दंड माना हुआ है। विलासिता और कामुकता बढ़ाने वाली साज-सज्जा और वेश-भूषा तक मानो आज के मानव का जीवन-लक्ष्य सीमित रह गया हैआज के गृहस्थों का अधिकाँश समय और शक्ति अपने को (अपने इस विनश्वर शरीर को) दूसरों की निगाह में (अपनी निगाह में नहीं) जंचाने और 'पोजीशन' को ऊँचा दिखाने में व्यय होती है, और पोजीशन को ऊँचा दिखाने का एक तरीका रह गया  है- आधुनिकतम वेश भूषा। परिणामतः नित्य नये डिजायन. नित्य  नया फैशन ! आज का मनुष्य 'टेलर मेड मैन' हो गया है। दर्जी को  दुकान पर या फिर नाई की दुकान पर बनता है आज का इन्सान नारी, मातृशक्ति आज पूजा की नहीं विलास की वस्तु बन कर रह  गई है। और नारी इसे गर्व की वस्तु समझकर अपनी विजय पर  इठला रही है। उफ ! कैसा घोर पतन !! यह चुस्त पोशाकें. ये  एक-एक अंग दिखाने वाले वस्त्र, ये अर्द्ध नग्न प्रायः अवस्था में  नारी चित्रों का विज्ञापन ! सच में कैसी दयनीय स्थिति है यह ॥


        अपने अन्तर के सन्तोष और आन्तरिक शान्ति के मूल्य पर आज के तथाकथित सभ्य मनुष्य ने इस स्थिति को खरीदा है। और अपनी ही हड्डी को चूसने वाले कुत्ते की तरह वह इससे प्रसन्न रहने का दम्भ कर रहा है।


      बढ़ती हुई आवश्यकताओं के कारण आज 'अर्थ शुचिता' का नाम लेना दकियानूसीपन माना जाता है और बेईमानी एक जीवित सत्य बन गईहा, हन्त !! वैदिक स्वर्ग लाने के लिए इस स्थिति को बदलना ही होगा। यहाँ हमें यह समझ लेना है कि सादगी का अर्थ फूहड़पन नहीं है। हमारे वस्त्रादि सलीके से बने हों, वे स्वच्छ और शोभनीय हों ऋतु अनुकूल और स्वास्थ्य विज्ञान के अनुसार हों, यह सब आवश्यक हैं हमारे गार्हस्थ्य जीवन (वैदिक स्वर्ग) के चिरसंगी चरखे पर काते गये और हमारी गृह देवियों द्वारा बुने गये उत्तमोत्तम वस्त्रों के उपयोग का विधान विवाह संस्कार के कई मन्त्रों में आता है। इन वस्त्रों के ताने-बानों में गृह देवियों के हृदय का अतुल प्यार और आशिष युक्त कल्याण कामनायें निहित रहती हैं। तो हमें फैशन के भूत को उतारना होगा। फैशन के अपव्यय के बचने से ही 'अर्थ शुचिता' के सिद्धान्त में आस्था पैदा होगी। शुद्ध अर्थ से सात्विक भोजन और उसके द्वारा पवित्र जीवनों का निर्माण होकर ही वैदिक स्वर्ग की कल्पना, साकार हो सकेगी।


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