सामूहिक ईश विनय
सामूहिक ईश विनय
प्रातः कालीन मन्त्र पाठ
(प्रातः उठकर निम्न मन्त्रों से सामूहिक प्रार्थना करनी चाहिए।)
प्रातरग्नि प्रातरिन्द्रं हवामहे प्रातर्मित्रावरुणा प्रातरश्विना।
प्रातर्भगं पूषणं ब्रह्मणस्पतिं प्रातस्सोममुत रुद्रं हुवेम॥१॥
प्रातर्जितं भगमुग्रं हुवेम वयं पुत्रमदितेर्यो विधर्ता।
आध्रश्चिद्यं मन्यमानस्तुरश्चिद्राजा चियंभगंभक्षीत्याह॥२॥
भग प्रणेतर्भग सत्यराधो भगेमां धिय मुदवा ददन्नः।
भग प्रणो जनय गोभिरश्वैर्भग प्र नृर्भिवन्तः स्याम॥३॥
उतेदानीं भगवन्तः स्यामोत प्रपित्व उतमध्ये अह्नाम।
उतोदिता मघवन्त्सूर्यस्य वयं देवानां सुमतौ स्याम॥४॥
भग एव भगवाँ अस्तु देवास्तेन वयं भगवन्तः स्याम।
तं त्वा भग सर्व इज्जोहवीति स नो भग पुरएता भवेह॥५॥
- ऋग्वेद मण्डल ७ सूक्त ४१ मन्त्र १-५॥
- हे प्रकाश के पुञ्जसृष्टि कर्ता ऐश्वर्य प्रदाता|
मित्र, वरुण, तू रूद्र देव है सूर्यचन्द्र, निर्माता।
भक्त, वेद ब्रह्माण्ड पालके व्यापक ब्रह्मा कहाता।
प्रात: की पावन बेला में मैं तेरे गुण गाता|
- हे विजयशील ऐश्वर्य प्रदाता तेजस्वी तपधारी।
अन्तरिक्ष के पुत्र सूर्य सम लोकों के आधारी|
हे सर्वज्ञ सुपालक, रक्षक दुर्जन-जन भयकारी|
प्रातः की पावन बेला में स्तुति करूँ तुम्हारी|
- हे. भजनीय सत्यपथप्रेरक सद्-ऐश्वर्य बढ़ाओ।
सदाचार प्रज्ञा प्रदान कर ईश मुझे अपनाओ|
घोड़े गाय आदि पशुओं से राज्यश्री प्रकटाओ|
आर्य जनों से हों सनाथ प्रभु कृपा कोर दिखलाओ |
- जिससे हे जगदीश्वर तेरे सब सज्जन गुण गावें।
भव के भीतर भव्य भावना भर दो भक्त बुलावें। |
भगवन् तुम सा कौन जगत् में पूज्य जिसे अपनावें।
कृपा सिन्धु कुछ कृपा बिन्दु दो जग की प्यास बुझावे |