सा विद्याया विमुक्तये
सा विद्याया विमुक्तये
वास्तविक विद्या वह है, जो व्यक्ति को बन्धनमुक्त कर दे। हम आचार्य के वैदिक स्वरूप का वर्णन करते हुए लिख चुके हैं कि वह अन्तेवासी के मस्तिष्क, हृदय और नाभि-केन्द्र को त्रिधा बाँधता है, जिसका प्रतीक मस्तिष्क पर शिखा, हृदय पर यज्ञोपवीत, कटिप्रदेश पर मेखला हैं। इन्हीं को वरुण के क्रमश: उत्तम, मध्यम और अधम पाश कहा गया है। इन पाशों से छूट जाने पर ही व्यक्ति संन्यास ग्रहण कर सकता है, जो मुक्ति का अधिकारी है।