ऋषि दयानन्द के अनुसार पुरुषार्थ का महत्व
ऋषि दयानन्द के अनुसार पुरुषार्थ का महत्व
ऋषि दयानन्द पुरुषार्थ को प्रारब्ध से बड़ा मानते हैं। वे लिखते हैं कि “जिससे संचित व प्रारब्ध बनते, जिसके सुधरने से सब सुधरते, और जिसके बिगड़ने से सब बिगड़ते हैं, इसी से प्रारब्ध की अपेक्षा पुरुषार्थ बड़ा है।" - स्वमन्तव्यामन्तव्य