प्रभु ही समाया है हरयालियों में  (भजन)

प्रभु ही समाया है हरयालियों में  (भजन)


प्रभु ही समाया है हरयालियों में,


वही झूमता है झुकी डालियों में।


उसी की महक है हरेक गुल के अन्दर,


चमन में शजर में घनी झाड़ियों में ||


बरसता है वह मेघ बन कर पलक में,


चमकता है वह ही घटा कालियों में ।


उसी की तजल्ली से रोशन हैं तारे,


सुनी कूक कोयल की किलकारियों में ।।


न देखा हो जिसने वह दुनिया को देखे,


वही रम रहा सारे संसारियों में ।


करे 'वीर' जो प्रेम उसके चरण से,


रहे शाद हरदम वह गमख्वारियों में ||


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