प्रातः भ्रमण


प्रातः भ्रमण


       वैदिक स्वर्ग की चौथी झांकी-शौच, दन्तधावन (दाँतुन)जिह्वा (जीभ साफ करना) मालिश और घर्षण-स्नान के पश्चात् आसन-व्यायाम या प्रातः भ्रमण के रुप में उपस्थित होती है। (मालिश एवं स्नान भ्रमण और आसनादि के बाद भी कर सकते हैं)


 


 


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