प्रात:जागरण, प्रणव जाप
प्रात:जागरण, प्रणव जाप
उषःकाल से पहले उठो!
वैदिक स्वर्ग का सबसे पहला सन्देश यह है कि मनुष्य सूर्य तथा उषा से भी पहले निद्रा त्याग कर उठ खड़े हों। उषा उस ज्योति का नाम है, जो सूर्य के उदय होने तो पर्व फैलती है-
अथर्व वेद (१०। ९।३१, आदेश है-
नाम नामना जोहवीति पुरा तयिसु पुरोषसः।
यदजः प्रथमं संबभूव।।
सूर्य से पहले और उषा से पहले नाम को नाम से (उस ईश्वर को) बार-बार पुकारो, जो अजन्मा है और पहले ही प्रकट हैमनुष्य को चाहिए कि वह उषा से पहले उठे, भगवान् के नाना नामों से उसे स्मरण करे। उषा देवी की बड़ी महिमा वेद ने गाई हैऋग्वेद में लिखा है कि 'रानी उषा मनुष्य समुदाय के लिए चिकित्सा करती हुई काले आकाश से उठ खड़ी हुई है।'(ऋ0 १।१२३।)
फिर इसी मण्डल के इसी सूक्त का चौथा यह मन्त्र है:-
गृहं गृहमहना यात्यच्छा दिवेदिवे अधि नामा दधाना |
सिषासन्ती द्योतना शश्दागादग्रमगमिद् भजते वसूनाम् ॥
-ऋ०१।१२३।४
'उषा दिन पर दिन सवाया रुप धारती हुई घर की ओर जाती है यह कुछ देना चाहती हुई, चमकती हुई सदा आती है और कोषों में है आगे-आगे बाँटती ही जाती है'|
इस उषा देवी का स्वागत करने के लिए उषा के आने से पूर्व ही उठ जाओ। यदि उषा देवी आई और आप निद्रा ही में पर्ड रहे, तो आप उषा की देन से वञ्चित रह जायेंगे। जागो, जागो और भगवान् के खजाने से कुछ ले लो। एक कवि ने भी कहा है-
हर रात के पिछले पहरे में इक दौलत लुटती रहती है|
जो जागता है सो पाता है जो सोता है सो खोता है |
भक्त कबीर कितनी मस्ती से गाता है-
जागु री बौरी, अब का सोवे। रैन गई दिन काहे को खोवे॥
जिन जागा तिन मानिक पाया, तैं बौरी सब सोय गँवाया।
कह कबीर, सोई धम जागै, शब्द बान उर अन्तर लागै॥
देखो, बाहर देखो!
उषा देवी चहक रही है। स्वास्थ्य, सौन्दर्य, सफलता आस्तिकता सुख, सम्पन्नता, ऐश्वर्य की दौलत लुट रही है और तुम अभागे सो रहे हो, यह अमृतवेला है। तीन घड़ी रात रहते शैया छोड़ दो। निहारो तो, तुम्हारा प्रीतम कितना सुन्दर रुप धारण करके इस बहाने तुमको देखने आया है। उठो! गाओ, अपने प्रीतम के गीत गाओ, वन्दना करो, अर्चना करो और हाथ फैलाकर कहो- 'लाओ प्रीतम मुझे मनुष्य बनाने के लिए क्या लाये हो ?'