पितु मातु सहायक स्वामी सखा (भजन)
पितु मातु सहायक स्वामी सखा (भजन)
पितु मातु सहायक स्वामी सखा,
तुम ही इक नाथ हमारे हो ।
जिनके कछु और आधार नहीं,
तिनके तुम ही रखवारे हो ||१||
|सब भांति सदा सुखदायक हो,
दुःख दुर्गुण नाशनहारे हो ।
प्रतिपाल करो सिगरे जग को,
अतिशय करुणा उर धारे हो ||२||
भूलि हैं हम ही तुम को तुम तो,
हमरी सुधि नाहिं विसारे हो|
उपकारन को कछु अन्त नहीं,
छिन ही छिन जो विस्तारे हो ||३||
महाराज महा महिमा तुम्हारी,
समझे बिरले बुधिवारे हो|
शुभ शान्ति-निके तन प्रेमनिधे,
मन-मन्दिर के उजियारे हो ||४||
यहि जीवन के तुम जीवन हो,
इन प्राणन के तुम प्यारे हो ।
तुम सों प्रभु पाय प्रताप हरि,
केहि के अब और सहारे हो ॥५॥