पति सेवा ही प्रभु सेवा ( गीत )


पति सेवा ही प्रभु सेवा ( गीत )


पति ही अपनी महादेव जतन करि हरे-हरे जतन करि पूजोरी।


भूत, मसानी सैयद भुमियाँ, पति ही जाहर पीर,


जिन्द खाईस मियाँ बलकारी पति ही है महावीर,


इसे ही सींचौरी।पति ही ॥१


जीवन भर के दुख सुख का साथी है पति तुम्हारा,


सर्वोपरि ये धर्म है बहिना इष्टदेव निज प्यारा,


नहीं कोऊ दूजौरी।। पति ही ॥२


इष्टदेव सुखादाता पति ही परम मित्र सिरताज


यही पती सौभाग्य बढ़ावे पति बिन शोक समाज-


जगत सब झूठोरी।पति ही॥३


जो पति सेवा करे प्रेम से स्वर्ग-धाम वह जाय,


पति सेवा बिन विधवा होवे तरुण अवस्था पाय,


इसे मति भूलोरी। पति ही॥४


नाश होंय सब कष्ट उसी के जो पति सेवाकारी,


मिलें पदारथ चारों उसको जो दुष्कर हैं प्यारी


निछावर हूजोरी।। पति ही॥५


पती तुम्हारे बड़े दयालु तु म पतिव्रता नारी,


ईश्वर से यों विनय करो नित राखो टेक हमारी,


मति कोऊ बूझोरी।।पति ही॥६


 


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