पंजाबी भाषा में स्वाहा शब्द का अर्थ


पंजाबी भाषा में स्वाहा शब्द का अर्थ


      पंजाबी भाषा में राख की एक संज्ञा स्वाहा है। ऐसा लगता है कि उस प्रदेश के लोग बड़े याज्ञिक व्यक्ति थे। हवि प्रदान करते हुए वे बोलते थे-अग्नये स्वाहा, सोमाय स्वाहा, प्रजापतये स्वाहा, इन्द्राय स्वाहा। जो समिधा और हवि समर्पित की गई थी, वह राख बन गई। उन्होंने राख को उठाकर कहना शुरू किया-यही तो है स्वाहा! ऐ यजमान! तूने अपनी प्रतिज्ञा की घोषणा की है-हे ब्रह्मन्! यह मेरा आत्मा, तेरे हाथ की समिधा है, मैं तेरी इच्छा में हूँ, जैसे चाहे लगा, मेरा सर्वस्व अर्पित है, मुझे पता है अपने स्व को स्वाहा किये बिना स्व: की प्राप्ति नहीं होती, आनन्द की प्राप्ति नहीं हो सकती। इस आग में तो बैठना ही होगा, मूर्त यज्ञ बनना होगा। अब मुझे आहुति न देनी होगी, अब इतर-व्यक्ति मुझमें आहुति डालेंगे। मैं ही स्वयं यज्ञ-रूप धारण करके घर-घर जाऊँगा और मुझे अतिथि जान गृहस्थ यजमान मुझमें आहुति डालेंगे। उनकी डाली हुई एक आहुति उनको हज़ार गुना होकर लौट आएगीवे एक देंगे, मैं हज़ार दूंगा। मैं अपने ऊपर ऋण न चढ़ने दूंगा। एक-एक के शत-गुणित, सहस्रगुणित करके लौटा दूंगा। तभी अतिथि देवो भव यह प्रार्थना सफल होगी। उनकी एक आहुति मुझ यज्ञाग्नि में पड़कर शतगुणित होकर दिग्-दिगन्त में फैलेगी।


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