पाणिग्रहण विवेचन

पाणिग्रहण विवेचन


          पाणिग्रहण का अर्थ है- हाथ पकड़ना। 'बाँह गहे की लाज' यह लोकोक्ति प्रसिद्ध है। एक दूसरे की बाँह गहने या हाथ पकड़ने का अर्थ है- एक दूसरे को निभाना, एक दूसरे को आश्रय देना-जीवन के अन्त तकहाँ, दुःख-सुख, हर्ष-शोक, हानि-लाभ हर अवस्था में एक दूसरे को सँभालना, धैर्य देना, कर्त्तव्य-पथ पर आरुढ़ रखना, साहस और उत्साह देना।


         निःसन्देह सन्तान उत्पत्ति वैवाहिक जीवन का एक दिव्य एवं महद् उद्देश्य है। पर याद रहे यह गौण है मुख्य उद्देश्य है-जीवन व्रत की पूर्ति में एक दूसरे का सहायक बनकर महान् पतिपरमात्मा की प्राप्ति। यहाँ गृहस्थ धर्म प्रभु प्राप्ति (जीवन लक्ष्य प्राप्ति) की एक महत्वपूर्ण भूमिका बन जाती है।


          वैदिक जीवन के तीन व्रत हैं-(१) अज्ञान-नाश (२) अन्याय नाश (३) अभाव-नाश। किसी भी राष्ट्र या समाज के तीन महा शत्रु हैं- (१) अज्ञान (२) अन्याय (३) अभाव। वैदिक जन-व्रत स्नातक' के रुप में इनमें से किसी एक के विनाश का व्रत धारण करते हैं। अपने व्रत के अनुसार ही वे अपना जीवन साथी वरण करते हैं चुनते हैं)। इसीलिये वे वर और वरणी कहलाते हैंयह जीवन-व्रत ही उनका धर्म है जिसे हम ब्राह्मण धर्म, क्षात्र ध म और वैश्य धर्म का ना म देते हैं। इस धर्म का सम्यक् अनुष्ठान ही वैदिक जन की ईश्वर भक्ति है। 


          विवाह की वेदी पर कन्या कहती है-


प्र मे पतियान:...... पतिलोकं गमेयम्'


          मैं (पतियानः) पति के जीवन-व्रत का अनुसरण करती हुई, उस व्रत की पूर्ति में सहयोगी बनकर (पतिलोकं) महान् पति परमात्मा को प्राप्त करूँ। इसी जीवन व्रत रुपी धर्म में सहायक बनने के विचार से दोनों प्रतिज्ञा करते हैं-


'पत्नी त्वमसि धर्मणाहं गृहपतिस्तव'


         मैं तुम्हारी धर्म पत्नी हूँ, या मैं तुम्हारा धर्म पति हूँ। पतिव्रत और पत्नीव्रत जैसे पवित्र शब्द भी (जो वैदिक संस्कृति का प्राण ही हैं) इसी जीवन-व्रत की भावना को (व्यक्त करते हैं। यह भारत-भू सतियों और पतिव्रताओं की भूमि हैप्रातः स्मरणीया माता सीतासावित्री, दमयन्ती, शैव्या, देवहूति, पििद्मनी और हाड़ी रानी आदि एक-दो नहीं शत-शत पति-प्राण देवियों के अनुपम त्याग और बलिदानों से यह देव-भूमि धन्य हो रही है। यहाँ हम सिर्फ कुछ की ही जीवन झाँकियाँ दे सकेंगे।


Popular posts from this blog

ब्रह्मचर्य और दिनचर्या

वैदिक धर्म की विशेषताएं 

अंधविश्वास : किसी भी जीव की हत्या करना पाप है, किन्तु मक्खी, मच्छर, कीड़े मकोड़े को मारने में कोई पाप नही होता ।