नीतिकार और आर्य शब्द
नीतिकार और आर्य शब्द
प्रायः कन्दुकपातेनोत्पतत्यार्यः पतन्नपि।
तथा त्वनार्षः पतति, मृत्पिण्डपतनं यथा॥
अर्थ-आर्य पाप से च्युत होने पर भी गेन्द के गिरने समान शीघ्र उपर उठ जाता है, अर्थात् पतन से अपने-आप को बचा लेता है। इसके विपरीत अनार्य पतित होता है तो मिट्टी ढेले के गिरने के समान फिर कभी नहीं उठता, अपना उद्धार नहीं करता।