नैमित्तिक ज्ञान
जब अमैथुनी सृष्टि होने के कारण, ज्ञान देने वाले माता-पिता आदि नहीं होते तो उस समय वह ज्ञान किस प्रकार प्राप्त हो? इस प्रश्न का उत्तर न मिलने के कारण, ईश्वरीय ज्ञान प्राप्ति (इलहाम) की कल्पना की जाती है। इसी कल्पना का संकेत योगदर्शन के इस प्रसिद्ध सूत्र में 'स एष पूर्वेषामपि गुरुः कालेनानवच्छेदात्।' (योगदर्शन १।२६) अर्थात् वह ईश्वर, जो समय से विभक्त नहीं हो सकता, पहले ऋषियों का भी गुरु है, कहा गया है।