मुण्डन के समय ( गीत )


मुण्डन के समय ( गीत )


दाँत जब निकलें तभी मुण्डन कराना चाहिये


नन्हे से बालक को रोगों से बचाना चाहिये


देह रुपी सेना का सेनापति होता है


इसलिये बलवान् और पुख्ता बनाना चाहिये


पुरुष रुपी वृक्ष की यों जड़ भी कहते हैं इसे


रोग रुपी जन्तु दीमक से बचाना चाहिये


स्वास्थ्य बनने के लिये यह भी जरुरी है सदा


सर्व रोगों से यथोचित सर बचाना चाहिये


दाँत बनने में सहायक हैं ये नस और नाड़ियाँ


इनका सारे देह से सम्बन्ध जताना चाहिये


सावधानी से कटाकर बाल छोटे लाल के


सर पर ताजी घी मलाई भी लगाना चाहिये


आँख और सिर की तुम्हें रक्षा यदि स्वीकार है


सिर पर ठण्डक आँख में काजल लगाना चाहिये


सार यह बतला दिया कि किसलिये होता है यह 


'चन्द्र' सबको इस तरह करना कराना चाहिये


 


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