मेरा देश महान है
मेरा देश महान है
बलिदानों की कुंकुम माटी, हर कण जहाँ जवान है।
वह शस्य श्यामला - वसुन्धरा, ही मेरा देश महान् है।।
जहां महकती केशर क्यारी, हैं कपूर से नर नारी।
नन्दन, वृन्दावन हैं कहीं है, शालिमार सी फुलवारी।
कली-कली पर सोन-चिरैया, झूमे डाली डाली।
चरण चूमती सागर की, उत्ताल तरंगे मतवाली।
हिमगिरि विशाल गंगा-यमुना, जिसकी पावन पहचान है ॥१॥
मेरा देश महान् है .......
चार-धाम हैं शक्ति-पीठ हैं, ज्योतिपुञ्ज गौरवशाली।
अश्वमेध और राजसूय यज्ञों की पावन पुण्य स्थली।
पुष्कर, रामेश्वर, अमृतसर, अवन्तिका और वैशाली।
काशी, सांची, तिरुपति, मदुरा, मथुरा की कुंज गली।
यहीं राम की जन्मभूमि है यहीं कृष्ण का धाम है। ।। २॥
मेरा देश महान् है ....
कुरुक्षेत्र में गूंज रही गर्जना भीम और अर्जुन की।
चक्र-सुदर्शन-धारी गीता-ज्ञानी, कंस-निकंदन की।
चन्द्रगुप्त चाणक्य, पुष्य से आक्रान्ता मद-मर्दन की।
शब्द-बैध करने वाले, बाणों के प्रबल प्रभञ्जन की।
अस्सी घावों से छलनी सांगा जहां लड़ा मैदान है। ॥३॥
मेरा देश महान् है .......
चप्पे-चप्पे से चेतक की, फिर टाप सुनाई देती है।
हर घर-आंगन में राणा की, पदचाप सुनाई देती है।
रण अभियानों में शूर शिवा की छाप दिखाई देती है।
जंग नगाड़ों पर आल्हा की थाप सुनाई देती है।
गूंज रहा जय घोष जहां, जय-जवान जय-किसान है। ॥४॥
मेरा देश महान् है .......
नन्हें लवकुश ने यज्ञ-अश्व को, धनुष-बाण पर तोला था।
शकुन्तला का पुत्र भरत, सिंहों से निर्भय खेला था।
ये सप्त महारथी चक्रव्यूह, जूझा अभिमन्यू अकेला था।
बैरी पर बिजली सा मचला, वह बादल भी अलबेला था।
हँसते-हँसते जो चुने गये, यह उन सिंहों की खान है॥५॥
मेरा देश महान् है ......
सीता-सावित्री गान्धारी, इस पुण्य धरा ने जाई है।
धधके जौहर कहीं कहीं, मुमताज ताज में सोई है।
सह्याद्रि शैल के शिखरों पर, जीजा ने ज्योति जलाई है।
दुर्गा लक्ष्मी के प्रहारों ने, नारी को दिशा दिखाई है।
नक्षत्रों पर चढ़ इन्द्रा ने, किया यही ऐलान है। ।।६।।
मेरा देश महान् है .......
तुम सजग रहो प्रहरी हर पल, लक्ष्मण सी भूल न हो जावे।
मारीच कोई सोने का मृग, बनकर धोखा ना दे जाये।
आरक्षक तुम जाँचों जनमन, जयचन्द कहीं न पनप जाये।
इस शस्य श्यामला धरती का, स्वातंत्र सिंदूर न लुट जाये।
टे ना मां की मूरत जिसके, कण कण में भगवान् है। ॥७॥
मेरा देश महान् है ......