कर्मफल-सिद्धान्त


कर्मफल-सिद्धान्त


 


प्रश्न 1   कर्मफल-सिद्धान्त क्या है?


उत्तर-   कर्मफल-सिद्धान्त के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्येक कर्म का फल अवश्य मिलता है। अच्छे कर्मों का फल सुख और बुरे कर्मों का फल दु:ख के रूप में होता है।


 


प्रश्न 2   कर्म-फल कौन भोगता है?


उत्तर-   कर्म-फल शरीर के द्वारा जीवात्मा भोगता है ।


 


प्रश्न 3    कर्मों का फल कब मिलता है?


उत्तर-    कुछ कर्मों का फल तुरन्त मिल जाता है, कुछ का कुछ समय के बाद, तो कुछ कर्मो का फल दूसरे जन्म तथा अन्य जन्मों में भी मिलता है कोई भी कर्म माफ नहीं होता, न पूजा-पाठ से, न ईसा या मुहम्मद साहिब पर विश्वास लाने से ।


 


प्रश्न 4    जब कर्मफल मिलना ही है तो फिर ईश्वर की प्रार्थना एवं उपासना आदि से क्या लाभ है?


उत्तर-    ईश्वर की प्रार्थना और उपासना से बुद्धि तथा मन पवित्र होता है, शुद्ध विचार और भावनाएँ जागती है और मानसिक तनाव कम होता है तथा आत्मिक शक्ति प्राप्त होती है। इनसे मनुष्य को श्रेष्ठ कर्म करने की प्रेरणा प्राप्त होती है। इसके साथ ही अहंकार समाप्त हो जाता है और मृत्यु का भय भी छूट जाता है।


 


प्रश्न 5    जीवात्मा कर्म करने में स्वतन्त्र है या परतन्त्र है?


उत्तर-    जीवात्मा कर्म करने में स्वतन्त्र है, परन्तु फल भोगने में परतन्त्र है। वह जैसे चाहे कर्म कर सकता है। परन्तु कर्म का फल उसे अपनी ईच्छा से प्राप्त नहीं होता।


 


प्रश्न 6    कर्मों के फल कौन देता है?


उत्तर-    कर्म-फल देने का अधिकार केवल ईश्वर का है।


 


प्रश्न 7    जीवात्मा एवम् प्रकृति को किस ने बनाया है?


उत्तर-    ये अनादि हैं। इनका बनाने वाला कोई नहीं है।


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