मनुष्यों की रचना

                     


         प्र.) ईश्वर ने सब पशु आदि सृष्टि मनुष्यों के लिये रची है और मनुष्य अपनी भक्ति के लिये। इसलिये मांस खाने में दोष नही हो सकता|


         उ.) भाई ! सुनो, तुम्हारे शरीर को जिस ईश्वर ने बनाया है, क्या उसी ने पशु आदि के शरीर नहीं बनाये हैं? जो तुम कहो कि पशु आदि हमारे खाने को बनाये हैं, तो हम कह सकते हैं कि हिंसक पशुओं के लिये तुम को उस ने रचा है, क्योंकि जैसे तुम्हारा चित्त उन के मांस पर चलता है, वैसे ही सिंह, गृध्र आदि का चित्त भी तुम्हारे मांस खाने पर चलता है, तो उन के लिये तुम क्यों नहीं?


                                                                                               महर्षि दयानन्द सरस्वती


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