मनुष्य किसको कहते है

             


   प्र.) मनुष्य किसको कहते है ?


    उ.) इस मनुष्य जाति में एक ऐसा गुण है कि वैसा किसी दूसरी जाती में नहीं पाया जाता | 


 


   प्र.) वह कौन सा है?


    उ.) जितने मनुष्य से भिन्न जातिस्थ प्राणी हैं उनमें दो प्रकार का स्वभाव है-बलवान् से डरना, निर्बल को डराना और पीड़ा कर अर्थात् दूसरे का प्राण  तक निकाल के अपना मतलब साध लेना देखने में आता है। जो मनुष्य ऐसा ही स्वभाव रखता है उसको भी इन्हीं जातियों में गिनना उचित है। परन्त जो निर्बलों पर दया, उनका उपकार और निर्बलों को पीड़ा देने वाले अधर्मी बलवानों से किञ्चिन्मात्र भी भय शंका न करे, इनको परपीड़ा से हटा के निर्बलों की रक्षा तन, मन और धन से सदा करना है, वही मनुष्य जाति का निज गुण है। क्योंकि जो बुरे कामों के करने में भय और सत्य कामों के करने में किञ्चित् भी भय, शंका, नहीं करते वे ही मनुष्य धन्यवाद के पात्र कहाते हैं || 


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