मंगल गीत (यज्ञोपवीत संस्कार के समय) 


मंगल गीत (यज्ञोपवीत संस्कार के समय) 


टेक-मिल झुल मंगल गाओरी सहेली बहिना।


आज प्यारी जननी के लाल ने जनेऊ पहिना।।


आज प्यारी के वीर ने जनेऊ पहिना।। मिल झुल


देखो री जनेऊ में दिखाई पड़े तीन धागे।


तीनों ही चेतावें ऋण तीन हैं तुम्हारे आगे।।


तुम भी गाके गीत में सुझाओरी सहेली बहिना।। मिल झुल


एक देव-ऋण दूजा पितृ-ऋण जान लेना।।


तीसरा है ऋषि-ऋण सुनने में ध्यान देना।।


कैसे ये चुकेंगे बताओरी सहेली बहिना।। मिल झुल


देव-ऋण चुकै नित्य सन्ध्या और यज्ञ कीजे।


पितृ-ऋण चुकै पिता माता की सुसेवा कीजे।।


एक रहा उसे भी जताओरी सहेली बहिना।।मिल झुल


ऋषि-ऋण रहा सो स्वाध्याय-व्रताधारी बनो।।


'रूप' सदा गुरूजी के चरण पुजारी बनो।।


निज-२ हिये हुलसाओरी सहेली बहिना।।


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