माता देती सीख

माता देती सीख


         माता ने भोजन के लिए पुकारा और तुम चल दिये । यह भी नहीं बताया कि जा रहे हो ? निकले तो ऐसे कि आधी रात नहीं लौटे ! मित्र के घर पर ग़प्पें मारी, सिनेमा देखा, नदी किनारे घूमे, चाट खाई, सिगरेट पी। सोचा होगा दिन बड़ा सार्थक हुआख शी के मारे फूल कर कप्पे हो गए होगे; पर कभी यह भी सोचा कि घर पर माँ का क्या हाल हुअा ? वह भूखी प्यासी बैठी रही, रोती रही। सोचती रही-तुम भूखे हो। तुम्हारे पास इतने पैसे कहां कि भोजन कर लो। उसको क्या पता कि तुम मित्रों से पैसे उधार ले लेते हो, कभी किसी से छीन लेते हो और मौका मिले तो चुरा भी लेते हो। माँ तो कल्पना भी नहीं कर सकती कि उसका बेटा ऐसा भी कर सकता है।


        कितने भाग्यशाली हो तुम ऐसी मां पाकर; पर कितने अभागे हो कि उस मां से कुछ भी नहीं सीख पाते । तुमने पढ़ी होगी यह सूक्ति-यदि परमात्मा को कभी नहीं देखा और उसे देखना चाहो तो अपनी माँ को देख लो। उसके सपनों को समझो। उनको पूरा करने के लिए प्राणों का पण लगा दो। 


         माँ से अधिक तुमको कोई नहीं पहचानता। माँ से अधिक तुम्हारी शक्ति को कोई नहीं पहचानता । तुम किसी बड़े काम को देख कर मुंह क्यों लटका लेते हो? माँ से पूछो। वह खुमको सलाह देगी-जूझने के लिए। कोई भी काम हो, कैसी भी परिस्थिति हो, काम हिम्मत से होता है और हिम्मत वाला जीतता है। _माना कि मां लगभग अनपढ़ है, पर इससे क्या हा? उसने जीवन की पोथी पढ़ी है। ऐसी ही एक माता ने अपने छोटे से बालक को टोका-'बेटे ! रात में तुलसी के पत्ते मत तोड़ो। इससे पौधे को पीड़ा होगी।' मां की बात बच्चे के मन में घर कर गई। वह समझ गया कि पेड़-पौधों को भी तकलीफ़ होती है । बड़े होने पर इस बालक ने बड़े-बड़े वैज्ञानिकों को समझाई अपनी मां की बात वैज्ञानिकों को मानना पड़ा कि पेड़ों में भी जीवन है। जानते हो वह बालक कौन था ? जगदीशचन्द्र वसु था वह ।


       उसने 'बेतार के तार' की खोज भी की। कदाचित यह सोच कर की हो कि माँ उसके मन की बात को समझ जाती है। उसके पास कहीं कोई ऐसा यन्त्र तो नहीं है जो उसे सीधी सूचना देता हो।


       पेड़ों को पीड़ा होने की बात रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने भी माता से सुनी थी। वे वनस्पतियों के दुःख और सुख को कविता में पिरोने लग गये । शान्तिनिकेतन क्या माता से ली हई शिक्षा का परिणाम नहीं है ? माँ से तम भी बहुत कुछ सीख सकते हो


                                                                                                                                                                                   - पंचोली


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