मांस खाना उचित है या नहीं
प्र.) देखो! ईश्वर ने पुरुषों के दांत कैसे पैने मांसाहारी पशुओं के समान बनाये है |
उ.) जिन व्याघ्रादि पशुओं के दांत के दृष्टान्त से अपना पक्ष सिद्ध किया चाहते हो, क्या तुम भी उन के तुल्य ही हो? देखो, तुम्हारी मनुष्य जाति उन की पशु जाति, तुम्हारे दो पग और उन के चार, तुम विद्या पढ़कर सत्यासत्य का विवेक कर सकते हो वे नहींऔर यह तुम्हारा दृष्टान्त भी युक्त नहीं, क्योंकि जो दांत का दृष्टान्त लेते हो, तो बंदर के दांतों का दृष्टान्तक्यों नहीं लेते? देखो बंदरों के दांत सिंह और बिल्ली आदि के समान और वे मांस कभी नहीं खाते। मनुष्य और बन्दर की आकृति भी बहुत ही मिलती है, जैसे मनुष्यों के हाथ पग और नख आदि होते हैं, वैसे ही बनो के भी हैं। इसलिये परमेश्वर ने मनुष्यों को दृष्टान्त से उपदेश किया है कि जैसे बन्दर मांस कभी नहीं खाते और फलादि खाकर निर्वाह करते हैं वैसे तुम भी किया.करो। जैसा बन्दरों का दृष्टान्त सांगोपांग मनुष्यों के साथ घटता है, वैसा अन्य किसी का नहींइसलिये मनुष्यों को अति उचित है कि मांग खाना सर्वथा छोड़ देवे|
महर्षि दयानन्द सरस्वती