अभिवादन महिमा


अभिवादन महिमा


      अभिवादन शीलता, विनय शीलता का पहिला पाठ व मनुष्यत का प्रथम सोपान है। मानव धर्म शास्त्र प्रणेता महर्षि मनु कहते हैं-


अभिवादन शीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः।


चत्वारि तस्य वर्द्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलम्॥


-मनु०अध्याय१।१२१


       अर्थात् अभिवादन करने का जिसका स्वभाव (है) और विद्या व अवस्था में वृद्ध पुरुषों का जो नित्य सेवन करता है उसकी (१) अवस्था = आयु (२) विद्या (३) कीर्ति और (४) बल इन चारों की नित्य उन्नति हुआ करती है|


       इसलिए आचार्य, माता, पिता, अतिथि, महात्मा आदि अपने बड़ो को नित्य नमस्कार और सेवन किया करें|


(ऋषि दयानन्द संस्कार विधिः वेदा०)


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